परिचय :
गुर्दे की पथरी भी पित्ताशय (वह स्थान जहां पित्त एकत्रित होती है) की पथरी के तरह बनती है। जब कभी गुर्दे में कैल्शियम, फास्फेट व कार्बोनेट आदि तत्त्व इकट्ठा हो जाते हैं तो वह धीरे-धीरे पथरी का रूप धारण कर लेती है। जब तक शरीर के सभी गंदे तत्त्व मूत्र के साथ सामान्य रूप से निकलते रहते हैं तब तक सब कुछ ठीक रहता है लेकिन जब किसी कारण से मूत्र के साथ ये सभी तत्व नहीं निकलने पाते हैं तो ये सभी तत्व गुर्दे में एकत्रित होकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। गुर्दे की पथरी बनने पर पेशाब करते समय तेजजलन व दर्द होता है।
कारण :
जो स्त्री-पुरुष खान-पान में सावधानी नहीं रखते हैं उन्हें यह रोग होता है। अधिक खट्ठे-मीठे, तेल के पदार्थ, गर्म मिर्च-मसाले आदि खाने के कारण गुर्दे की पथरी बनती है। जो लोग इस तरह के खान पान हमेशा करते हैं उनके गुर्दो में क्षारीय तत्त्व बढ़ जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है। कभी-कभी मौसम के विरुद्ध आहार खा लेने से भी गुर्दे की पथरी बन जाती है। शुरू में यह पथरी छोटी होती है और बाद में धीरे-धीरे बड़ी हो जाती है।
लक्षण :
पथरी बनने के पश्चात मूत्र त्याग के समय जलन होती है। कभी-कभी पेशाब करते समय इतना दर्द होता है कि रोगी बेचैन हो जाता है। गुर्दे की पथरी नीचे की ओर चलती है और मूत्रनली में आती रहती है जिससे रोगी को बहुत दर्द होता है।
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