Thursday 1 October 2015

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परिचय :
          गुर्दे की पथरी भी पित्ताशय (वह स्थान जहां पित्त एकत्रित होती है) की पथरी के तरह बनती है। जब कभी गुर्दे में कैल्शियमफास्फेट व कार्बोनेट आदि तत्त्व इकट्ठा हो जाते हैं तो वह धीरे-धीरे पथरी का रूप धारण कर लेती है। जब तक शरीर के सभी गंदे तत्त्व मूत्र के साथ सामान्य रूप से निकलते रहते हैं तब तक सब कुछ ठीक रहता है लेकिन जब किसी कारण से मूत्र के साथ ये सभी तत्व नहीं निकलने पाते हैं तो ये सभी तत्व गुर्दे में एकत्रित होकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। गुर्दे की पथरी बनने पर पेशाब करते समय तेजजलन व दर्द होता है।
कारण :
          जो स्त्री-पुरुष खान-पान में सावधानी नहीं रखते हैं उन्हें यह रोग होता है। अधिक खट्ठे-मीठेतेल के पदार्थगर्म मिर्च-मसाले आदि खाने के कारण गुर्दे की पथरी बनती है। जो लोग इस तरह के खान पान हमेशा करते हैं उनके गुर्दो में क्षारीय तत्त्व बढ़ जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है। कभी-कभी मौसम के विरुद्ध आहार खा लेने से भी गुर्दे की पथरी बन जाती है। शुरू में यह पथरी छोटी होती है और बाद में धीरे-धीरे बड़ी हो जाती है।
लक्षण :
          पथरी बनने के पश्चात मूत्र त्याग के समय जलन होती है। कभी-कभी पेशाब करते समय इतना दर्द होता है कि रोगी बेचैन हो जाता है। गुर्दे की पथरी नीचे की ओर चलती है और मूत्रनली में आती रहती है जिससे रोगी को बहुत दर्द होता है।


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Tuesday 29 September 2015

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Monday 21 September 2015

गुर्दे की पथरी का विभिन्न औषधियों से उपचार

गुर्दे(Kidne)की पथरी का उपचार
 
परिचय :
          गुर्दे की पथरी भी पित्ताशय (वह स्थान जहां पित्त एकत्रित होती है) की पथरी के तरह बनती है। जब कभी गुर्दे में कैल्शियमफास्फेट व कार्बोनेट आदि तत्त्व इकट्ठा हो जाते हैं तो वह धीरे-धीरे पथरी का रूप धारण कर लेती है। जब तक शरीर के सभी गंदे तत्त्व मूत्र के साथ सामान्य रूप से निकलते रहते हैं तब तक सब कुछ ठीक रहता है लेकिन जब किसी कारण से मूत्र के साथ ये सभी तत्व नहीं निकलने पाते हैं तो ये सभी तत्व गुर्दे में एकत्रित होकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। गुर्दे की पथरी बनने पर पेशाब करते समय तेजजलन व दर्द होता है।
कारण :
          जो स्त्री-पुरुष खान-पान में सावधानी नहीं रखते हैं उन्हें यह रोग होता है। अधिक खट्ठे-मीठेतेल के पदार्थगर्म मिर्च-मसाले आदि खाने के कारण गुर्दे की पथरी बनती है। जो लोग इस तरह के खान पान हमेशा करते हैं उनके गुर्दो में क्षारीय तत्त्व बढ़ जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है। कभी-कभी मौसम के विरुद्ध आहार खा लेने से भी गुर्दे की पथरी बन जाती है। शुरू में यह पथरी छोटी होती है और बाद में धीरे-धीरे बड़ी हो जाती है।
लक्षण :
          पथरी बनने के पश्चात मूत्र त्याग के समय जलन होती है। कभी-कभी पेशाब करते समय इतना दर्द होता है कि रोगी बेचैन हो जाता है। गुर्दे की पथरी नीचे की ओर चलती है और मूत्रनली में आती रहती है जिससे रोगी को बहुत दर्द होता है।
 
गुर्दे की पथरी का विभिन्न औषधियों से उपचार:
 
1.         कुल्थी:
 
250 ग्राम कुल्थी को साफ करके रात को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह फुली हुई कुल्थी को उसी पानी के साथ धीमी आग पर लगभग 4 घंटे तक पकाएं और जब 1 लीटर पानी रह जाए तो उतारकर इसमें 50 ग्राम देशी घीसेंधानमककालीमिर्चजीरा व हल्दी का छोंका लगाएं। यह भोजन के बाद सेवन करने से गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।
 
 2.         लहसुन:
 
लहसुन की पुती के साथ 2 ग्राम जवाखार पीसकर रोगी को सुबह-शाम देने से गुर्दे की पथरी बाहर निकल जाती है।
 
  3.         पपीता:
 
   
6 ग्राम पपीते की जड़ को पीसकर 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर 21 दिन तक सुबह-शाम पीने से पथरी गल जाती है।
 
4.         मेंहदी:
 
6 ग्राम मेंहदी के पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब 150 मिलीलीटर पानी रह जाए तो छानकर 2-3 दिन पीने से गुर्दे का दर्द ठीक होता है।
 
  5.         मूली:
 
 
मूली का 100 मिलीलीटर रस मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से कुछ दिनों में ही गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है और दर्द शान्त होता है।
 
6.         मक्का:
 
मक्के के भुट्टे के 20 ग्राम बालों को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब पानी केवल100 मिलीलीटर बच जाए तो छानकर पीएं। इससे गुर्दे की पथरी का दर्द ठीक होता है।
 
7.         तुलसी:
 
20 ग्राम तुलसी के सूखे पत्ते, 20 ग्राम अजवायन और 10 ग्राम सेंधानमक लेकर पॉउड़र बनाकर रख लें। यह 3 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से गुर्दे का तेज दर्द दूर होता है।
 
  8.         दालचीनी:
 
   
दालचीनी का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम पाउड़र पानी के साथ खाने से गुर्दे का दर्द दूर होता है।
 
    9.         खरबूजे:
 
खरबूजे के बीजों को छीलकर पीसकर पानी में मिलाकर हल्का सा गर्म करके पीने से गुर्दो का दर्द खत्म होता है
 
10.       अजवायन:
 
   
अजवायन का चूर्ण 3 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
 
 11.       चौलाई:
 
प्रतिदिन चौलाई का साग बनाकर खाने से पथरी गलकर निकल जाती है।
 
 12.       करेला:
 
   
करेले के 20 मिलीलीटर रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से पथरी खत्म होकर पेशाब के रास्ते निकल जाती है। करेले की सब्जी बनाकर रोज खाने से पथरी खत्म होती है।
 
13.       खीरा:
 
   
खीरे का रस 150 मिलीलीटर प्रतिदिन 2-3 बार पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है।
 
14.       जामुन:
 
   
 
प्रतिदिन जामुन खाने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे खत्म होती है।
 
15.       सहजन:
 
   
सहजन की सब्जी रोजाना खाने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे पेशाब के रास्ते निकल जाती है और दर्द ठीक होता है।
 
16.       जवाखार:
 
    गाय के दूध के लगभग 250 मिलीलीटर मट्ठे में 5 ग्राम जवाखार मिलाकर सुबह-शाम पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है।
    जवाखार और चीनी 2-2 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर पानी के साथ खाने से पथरी टूट-टूटकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इस मिश्रण को रोज सुबह-शाम खाने से आराम मिलता है।
 
 
 17.       पालक:
 
    100 मिलीलीटर नारियल का पानी लेकरउसमें 10 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से 14 दिनों में पथरी खत्म हो जाती है।
    पालक के साग का रस 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पथरी में लाभ मिलता है।
 
18.       अजमोद:
 
अजमोद के फल का चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से पथरी रोग में लाभ होता है। ध्यान रहें कि मिर्गी के रोगी और गर्भिणी को यह औषधि न दें।
 
19.       पाठा:
 
पाठा के जड़ के बारीक चूर्ण को गर्म पानी से छानकर रख लें। इस छाने हुए पानी को सुबह-शाम पीने से पूरा लाभ मिलता है।
 
20.       चिरचिरी:
 
   
 
चिरचिरी की जड़ 5 से 10 ग्राम या काढ़ा 1 से 50 मिलीलीटर सुबह-शाम मुलेठीगोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है। इसकी क्षार अगर भेड़ के मूत्र के साथ खाए तो पथरी रोग में ज्यादा लाभ मिलता है।
 
21.       गोक्षुर:
 
गोक्षुर के बीजों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन 2 बार खाने से पथरी खत्म होती है।
 
22.       लकजन:
 
लकजन के जड़ का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पेशाब की पथरी में लाभ मिलता है।
            23.       बड़ी इलायची:
 
बड़ी इलायची लगभग आधा ग्राम को खरबूजे के बीज के साथ पीसकर पानी में घोटकर सुबह-शाम पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
 
24.       नारियल:
 
नारियल की जड़ का काढ़ा 40 मिलीलीटर दिन में तीन बार पीने से पथरी व दर्द ठीक होता है।
 
25.       बिजौरा नींबू:
 
 
बिजौरा नींबू की जड़ 10 ग्राम को पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम पिलाने से पेशाब की पथरी खत्म होती है।
 
26.       हजरत बेर:
 
पथरी चाहे कहीं की भी हो हजरत बेर सुबह-शाम पानी में घिसकर खाने से पथरी खत्म होती है।
 
 27.       गुलदाउदी:
 
10 ग्राम सफेद गुलदाउदी को पीसकर मिश्री मिलाकर पीने से गुर्दे की पथरी का दर्द दूर होता है।
 
28.       सुहागा:
 
भुना सुहागानौसादर और कलमीशोरा 1-1 ग्राम पीसकर दर्द के समय आधा ग्राम की मात्रा में नींबू के 2-3 चम्मच रस के साथ रोगी को देने से दर्द ठीक होता है।
 
  29.       फिटकरी:
 
भुनी हुई फिटकरी 1-1 ग्राम दिन में 3 बार रोगी को पानी के साथ सेवन कराने से रोग ठीक होता है।
 
30.       अदरक:
 
अदरक का रस 10 मिलीलीटर और भुनी हींग 120 ग्राम पीसकर नमक मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
 
31.       अजमोद:
 
25 ग्राम अजमोद को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें और आधा रह जाने पर ठंडा करके आधा या 2 कप 3-3 घंटे के अन्तर पर रोगी को पिलाएं। इससे दर्द तुरन्त समाप्त हो जाता है।
 
 32.       कमलीशोरा:
 
कमलीशोरागंधक और आमलासार 10-10 ग्राम अलग-अलग पीसकर मिला लें और हल्की आग पर गर्म करने के 1-1 ग्राम का आधा कप मूली के रस के साथ सुबह-शाम लेने से गुर्दे की पथरी में लाभ मिलता है।
 
 33.       काला जीरा:
 
काला जीरा 20 ग्रामअजवायन 10 ग्राम और काला नमक 5 ग्राम को एक साथ पीसकर सिरके में मिलाकर 3-3 ग्राम सुबह-शाम लेने से आराम मिलता है।
 
34.       आलू:
 
   
 
एक या दोनों गुर्दो में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक मात्रा में पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियां और रेत आसानी से निकल जाती हैं। आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है जो पथरी को निकालता है तथा पथरी बनने से रोकता है।
 
35.       अनन्नास:
 
 
अनन्नास खाने व रस पीने से पथरी रोग में बहुत लाभ होता है।
 

Sunday 20 September 2015

जीरे के 30 घरेलु नुस्खे

जीरा -----
जीरा एक ऐसा मसाला है जिसके छौंक से दाल और सब्जियों का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। चाट का चटपटा स्वाद भी जीरे के बिना अधूरा सा लगता है। अंग्रेजी में इसे क्यूमिन कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम क्यूमिनम सायमिनम है। यह पियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। मुख्यत: पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक इसकी पैदावार अधिक होती है।
दिखने में सौंफ के आकार का दिखाई देने वाला जीरा सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता यह बहुत उपयोगी भी है। यही कारण है कि कई रोगों में दवा के रूप में भी जीरे का उपयोग किया जा सकता है। आइए देखते हैं घरेलू नुस्खे के रूप में किन रोगों के उपचार के लिए जीरा उपयोगी है......
- जीरा आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। इसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर हो जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए जीरा अमृत का काम करता है।
- जीरा, अजवाइन, सौंठ, कालीमिर्च, और काला नमक अंदाज से लेकर इसमें घी में भूनी हींग कम मात्रा में मिलाकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
- जीरा, अजवाइन और काला नमक का चूर्ण बनाकर रोजाना एक चम्मच खाने से तेज भूख लगती है।
- 3 ग्राम जीरा और 125 मि.ग्रा. फिटकरी पोटली में बांधकर गुलाब जल में भिगो दें। आंख में दर्द होने पर या लाल होने पर इस रस को टपकाने से आराम मिलता है।
- दही में भुने जीरे का चूर्ण मिलाकर खाने से डायरिया में आराम मिलता है।
- जीरे को नींबू के रस में भिगोकर नमक मिलाकर खाने से जी मिचलाना बंद हो जाता है।
- जीरा में थोड़ा-सा सिरका डालकर खाने से हिचकी बंद हो जाती है।
- जीरे को गुड़ में मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से मलेरिया में लाभ होता है।
- एक चुटकी कच्चा जीरा खाने से एसिडिटी में तुरंत राहत मिलती है।
- डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए एक छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
- कब्जियत की समस्या हो तो जीरा, काली मिर्च, सौंठ और करी पाउडर को बराबर मात्रा में लें और मिश्रण तैयार कर लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालकर घी में मिलाएं और चावल के साथ खाएं।राहत मिलेगी।
- पके हुए केले को मैश करके उसमें थोड़ा-सा जीरा मिलाकर रोजाना रात के खाने के बाद लें। अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।
- इसमें एंटीसेप्टिक तत्व भी पाया जाता है। सीने में जमे हुए कफ को बाहर निकलने के लिए जीरे को पीसकर फांक लें। यह सर्दी-जुकाम से भी राहत दिलाता है।
- हींग को उबाल लें। इस पानी में जीरा, पुदीना, नींबू और नमक मिलाकर पिलाने से हिस्टीरिया के रोगी को तत्काल लाभ होता है।
- थायराइड (गले की गांठ) में एक कप पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
- मेथी, अजवाइन, जीरा और सौंफ 50-50 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर पीस लें। एक चम्मच रोज सुबह सेवन करें। इससे शुगर, जोड़ों के दर्द और पेट के विकारों से आराम मिलेगा।
- प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है।
- खुजली की समस्या हो तो जीरे को पानी में उबालकर स्नान करें। राहत मिलेगी।
- एक गिलास ताजी छाछ में सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर भोजन के साथ लें। इससे अजीर्ण और अपच से छुटकारा मिलेगा।
- आंवले की गुठली निकालकर पीसकर भून लें। फिर उसमें स्वादानुसार जीरा, अजवाइन, सेंधा नमक और थोड़ी-सी भुनी हुई हींग मिलाकर गोलियां बना लें। इन्हें खाने से भूख बढ़ती है। इतना ही नहीं, इससे डकार, चक्कर और दस्त में लाभ होता है।
- जीरा उबाल लें और छानकर ठंडा करें। इस पानी से मुंह धोने से आपका चेहरा साफ और चमकदार होगा।
- एक चम्मच जीरा भूनकर रोजाना चबाने से याददाश्त अच्छी रहती है।
- जिनको अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य सांस संबंधी समस्या है, उन्हें जीरे का नियमित प्रयोग किसी भी रूप में करना चाहिए।
- दक्षिण भारत में लोग अक्सर जीरे का पानी पीते हैं। उनके अनुसार, इसके सेवन से मौसमी बीमारियां नहीं होतीं और पेट भी तंदुरुस्त रहता है।
- 50 ग्राम जीरे में 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीसकर पाउडर बना लें। इसे सुबह-शाम एक चम्मच सेवन करें। बवासीर में आराम मिलेगा।

पित्ताशय की पत्थरी से बचने या निकालने के लिए घरेलु उपचार। (पित्त – Gall Bladder Stone)

पित्ताशय की पत्थरी से बचने या निकालने के लिए घरेलु उपचार। (पित्त – Gall Bladder Stone)

पित्ताशय हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग होता है जो लीवर के न‍िचले सतह से जुडी रहने वाली, नाशपाती के आकार की 10 सेमी लम्‍बी व 3 से 5 सेमी चौडी एक थैली होती है ज‍िसे प‍ित्‍ताशय व प‍ित्‍त की थैली कहते है । इसका कार्य पित्त को संग्रहित करना तथा भोजन के बाद पित्त नली के माध्यम से छोटी आंत में पित्त का स्त्राव करना है। पित्त रस वसा के अवशोषण में मदद करता है। प‍ित्‍त की थैली में दो तरह की द‍िक्‍कतें पैदा हो सकती है एक प‍‍ित्‍ताशय का फूलना या इन्फ्लेमेशन (INFLAMATION),‍ ज‍िसे कोलीस्‍टास‍िस (CHOLESTASIS) कहते है और दूसरी प‍ित्‍त पत्थरी (GALLBLADDER STONE) के नाम से जाना जाता है ।
जब इस पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिल रुबिन की मात्रा बढ़ जाती हैं तो पत्थरी निर्माण के लिए एक आदर्श स्थिति बन जाती हैं।

तो आइये जानते हैं कैसे हम इस से बच सकते हैं और अगर हो गयी हैं तो कैसे मुक्ति पा सकते हैं।

प‍ित्‍त पथरी के लक्षणः-

जब तक पत्थरी प‍ित्‍ताशय में पड़ी रहती है, तब तक व‍िशेष लक्षण प्रकट नहीं होते, परन्‍तु जब पत्थरी अपने स्‍थान से सरक कर प‍ित्‍त स्‍त्रोत में आकर अटक जाती है तो असहनीय पीड़ा होती है खासकर प‍ित्‍त पत्थरी की पीड़ा रात्र‍ि के समय व‍िशेषतः होती है, यह दर्द रूक रूककर होता है ज‍िसमें रोगी छटपटा जाता है ।
यह शुरूआत में बारीक कंकड़ की तरह होती है लेक‍िन बाद में इसपर परत दर परत चढ़ती जाती है और यह बड़ा रूप ले लेती है । इन्फ्लेमेशन के कारण भी पत्थरी की शिकायत हो सकती है, पुरूषो के मुकाबले मह‍िलाओं को प‍ित्‍त पथरी की श‍िकायत ज्‍यादा रहती है खासकर मोटे लोगो में ।
इसके अत‍िर‍िक्‍त अपचन, गैस,कब्‍‍िजयत,म‍िचली,वमन प्रतीत होना, च‍िकानाई युक्‍त चीजों का न पचना, चक्‍कर आना, कमर व पेट में दर्द व ऐंठन होना, खून की कमी, पील‍िया , बवासीर, वेर‍िकन्‍स वेन्‍स,सुक्ष्‍म रक्‍त वाह‍िन‍ियों मे टूट फूट आद‍ि लक्षण भी प‍ित्‍ताशय की गड़बड़ी के कारण हो सकते हैं ।

प‍ित्‍त पथरी के कारणः-

प‍ित्‍ताशय की पथरी का मुख्‍य कारण है पाचन क्रिया में होनें वाली द‍िक्‍‍कते,जो खानें में कार्बोहाइड्रेट लेने से होती है, वात बढ़ाने वाला व वसा युक्‍त आहार प‍ित्‍त पथरी के दर्द व ऐंठन का कारण बन जाता है । कच्‍चे चावल,म‍िटृी,बत्‍ती चोक खानें के कारण,अत्‍यध‍िक ठोस व गर‍िष्‍ठ आहार के सेवन से यह पथरी होने की सम्‍भावना बढ़ जाती है । इसके अत‍िर‍िक्‍त स्‍वास्‍थ्‍य का ठीक न होना,गलत मुद्रा के सोना या बैठना, मॉेसपेशि‍यों में तनाव आद‍ि समस्‍याए प‍ित्‍त पथरी के ल‍िए ज‍िम्‍मेदार हो सकती है।

बचाव के उपायः-

प‍ित्‍ताशय की थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने पर खानपान को सही रखना बेहद जरूरी होता है । प‍ित्‍ताशय में यद‍ि बहुत अध‍िक इन्फ्लेमेशन है तो मरीज को दो या तीन द‍िन तक उपवास करना चाह‍िए । जब तक वह समस्‍या खत्‍म न हो जाए । इस समय स‍िर्फ पानी (उबालकर ठण्‍डा क‍िया हुआ) ,चकोतरा, नींबू, सन्‍तरा, अंगूर, गाजर, चुकन्‍दर का जूस व मूली का जूस पीना चाहीए । दही, कॅाटेज चीज़ और एक चम्‍मच अॉल‍िव आॅयल (जैतून तेल) भी द‍िन में दो बार लें , इन्‍द्रजौ म‍िठा 10 ग्राम और हरी ईलाइची 10 ग्राम एक सफेद सूती कपड़े में पोटली बनाकर पीने वाले पानी ( लगभग 4 लीटर) में डाल के रखें ,जब भी प्‍यास लगें तो उसी पानी को प‍ियें, यह रोज़ करें तथा हर 5 द‍िन बाद पोटली बदल लेवें।
पित्त की थैली की पथरी का साइज अधिक बड़ा हो जाने से फिर केवल आपरेशन कराने का रास्ता ही बचता है । गुर्दे की पथरी चाहे जितनी बड़ी हो गयी हो आपरेशन कराने से बचना चाहिये और पथरी का इलाज होम्योपैथिक अथवा आयुर्वेदिक तरीके से कराना चाहिये ।
पित्त की थैली की पथरी यदि 7 मिलीमीटर तक है तो किसी नजदीक के expert आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक चिकित्सक से इलाज करायें । लम्बे समय तक इलाज कराने और परहेज करने से पथरी धीरे धीरे melt होकर गल जाती है अथवा अनुकूल साइज आ जाने पर CBD से निकल जाती है । यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि CBD नलिका का आन्तरिक साइज 6.5 मिलीमीटर से लेकर 7.5 मिलीमीटर तक ही औसतन होता है । किसी किसी रोगी में CBD का आन्तरिक साइज कुछ घट या कुछ बढ जाता है । इसकी माप करने का सबसे बेहतर तरीका Utrasound examination द्वारा ही सम्भव है ।

यदि पित्त की थैली की पथरी यदि 7 मिलीमीटर से कम हैं तो किसी नजदीक के expert आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक चिकित्सक की देख रेख में ये प्रयोग करे, ये बेहद सफल प्रयोग हैं।

प्रयोग इस प्रकार हैं।

ये प्रयोग तभी करना हैं जब आपकी पत्थरी का आकार आपकी CBD नलिका से कम हो। और ये उपचार करते समय किसी नज़दीकी आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक डॉक्टर की देख रेख ज़रूरी हैं।

कृपया शेयर करते रहिये।

पहले 5 दिन रोजाना 4 ग्लास एप्पल जूस (डिब्बे वाला नहीं) और 4 या 5 सेव खायें …..
छटे दिन डिनर नां लें ….
इस छटे दिन शाम 6 बजे एक चम्मच ”सेधा नमक” ( मैग्नेश्यिम सल्फेट ) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें …
शाम 8 बजे फिर एक बार एक चम्मच ” सेंधा नमक ” ( मैग्नेश्यिम सल्फेट ) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें …
रात 10 बजे आधा कप जैतून ( Olive ) या तिल (sesame) का तेल – आधा कप ताजा नीम्बू रस में अच्छे से मिला कर पीयें …..
सुबह स्टूल में आपको हरे रंग के पत्थर मिलेंगे …
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें।

हम अगर अपने नियमित भोजन में कुछ ऐसे जूस शामिल करे तो हम पित्त की पत्थरी की शिकायत होने की सम्भावना से बच सकते हैं। आइये जाने कौन से हैं ये जूस।

प्राकृतिक तरीकों से बचे पित्त की पथरी से

1. चुकंदर, नाशपाती और सेब का जूस

इन रसों के द्वारा पथरी का प्राकृतिक तरीके से प्रभावी उपचार किया जा सकता है। विभिन्न रस जैसे चुकंदर का रस, नाशपाती का रस और सेब का रस लीवर को स्वच्छ करते हैं। पथरी बनने से रोकने के लिए इन तीनों रसों के मिश्रण का सेवन करें।

2. ऐप्पल सीडर विनेगर

ऐप्पल सीडर विनेगर की अम्लीय प्रकृति लीवर को कोलेस्ट्राल बनाने से रोकती है जो अधिकाँश पथरियों का कारण होता है। यह पथरी को विघटित करने तथा दर्द को समाप्त करने में सहायक होता है।

3. नीबू का रस

नीबू का रस या खट्टे फलों का रस पित्ताशय में कोलेस्ट्राल को जमा होने से रोकता है तथा इस प्रकार पथरी बनने से बचाव करता है। दिन में तीन बार नीबू का रस लें।

4. विटामिन सी जूस

विटामिन सी शरीर के कोलेस्ट्राल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती है जो पथरी को विघटित करता है। आप विटामिन सी संपूरक ले सकते हैं या ऐसे फलों का जूस पी सकते हैं जिनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में हो जैसे संतरा, टमाटर आदि। पथरी के दर्द के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है।

5. पुदीना जूस

पुदीना यह पित्त तथा अन्य पाचक रसों के प्रवाह को उत्तेजित करता है। इसमें टेरपिन नामक यौगिक पाया जाता है जो प्रभावी रूप से पथरी को विघटित करता है। आप पुदीना पीस कर उसका जूस बनाकर पी सकते हैं या फिर पुदीने की पत्तियों को उबालकर पिपरमेंट टी भी बना सकते हैं। पथरी एक लिए यह एक प्रभावी घरेलू उपचार है।

6. गाजर और ककड़ी का जूस

अगर आपको पित्ती की पथरी की समस्या है तो गाजर और ककड़ी का रस प्रत्येक 100 मिलिलिटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीयें। इस समस्या में ये अत्यन्त लाभदायक घरेलू नुस्खा माना जाता है।

7. हल्दी

पथरी के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है। यह एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेट्री होती है। हल्दी पित्त, पित्त यौगिकों और पथरी को आसानी से विघटित कर देती है। ऐसा माना जाता है कि एक चम्मच हल्दी लेने से लगभग 80 प्रतिशत पथरी खत्म हो जाती हैं।

Sunday 13 September 2015

भोजन के अन्त में पानी विष समान है

भोजन के अन्त में पानी विष समान है

भोजन हमेसा धीरे धीरे, आराम से जमीन पर बैठकर करना चाहिए ताकि सीधे अमाशय में जा सके । यदि पानी पीना हो तो भोजन आधा घंटा पहले पी ले । भोजन के समय पानी न पियें । यदि प्यास लगती हो या भोजन अटकता हो तो मठ्ठा / छाछ ले सकते हैं या उस मौसम के किसी भी फल का रस पी सकते है (डिब्बा बन्ध फलों का रस गलती से भी न पियें) । पानी नहीं पीना है क्योंकि जब हम भोजन करते है तो उस भोजन को पचाने के लिए हमारी जठराग्नि में अग्नि प्रदीप्त होती है । उसी अग्नि से वह खाना पचता है । यदि हम पानी पीते है तो खाना पचाने के लिए पैदा हुई अग्नि मंद पड़ती है और खाना अछि तरह से नहीं पचता और वह विष बनता है । कई तरह की बीमारियां पैदा करता है । भोजन करने के एक घन्टा बाद ही पानी पिए वो भी घूंट घूंट करके ।

 फायदे : मोटापा कम करने के लिए यह पद्धति सर्बोत्तम है । पित्त की बिमारियों को कम करने के लिए, अपच, खट्टी डकारें, पेट दर्द, कब्ज, गैस आदि बिमारियों को इस पद्धति से अछि तरह से ठीक किया जा सकता है ।

Monday 7 September 2015

पेट की गैस के लिए 10 बेहतरीन आयुर्वेदिक नुस्खे

पेट के वायु विकार को रोकने के 10 उपाय

हमारा शरीर एक बहुत ही उन्नत किस्म का मशीन है. इसका एक-एक तंत्र (system) अपने आप में अनोखा है. इस लेख में हम पाचन तंत्र के बारे में जिक्र करना चाहेंगे. पाचन तंत्र के कुछ दोषों में वायु विकार एक प्रमुख दोष है. पेट में गैस बनना एक आम समस्या है  पूरी जानकारी पढ़ने यहाँ लिए यहाँ क्लिक करें